Punjab Bandh: 30 दिसंबर को पंजाब बंद और 4 जनवरी को विशाल महापंचायत
Punjab Bandh: पंजाब में किसानों का आंदोलन एक बार फिर सुर्खियों में है। किसानों ने 30 दिसंबर, 2024 को पंजाब बंद की घोषणा की है और इसके साथ ही खनौरी बॉर्डर पर 4 जनवरी को एक विशाल किसान महापंचायत आयोजित करने का ऐलान किया है। यह आंदोलन शंभू और खनौरी बॉर्डर पर जारी किसान संघर्ष के संदर्भ में है। पंजाब के विभिन्न हिस्सों में इस बंद को लेकर समर्थन की अपील की गई है, जबकि पंजाब विश्वविद्यालय ने इस कारण से अपनी परीक्षा स्थगित कर दी है। इस लेख में हम पंजाब बंद, किसान आंदोलन और आगामी महापंचायत के महत्व को विस्तार से समझेंगे, साथ ही इस आंदोलन के पीछे की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर भी चर्चा करेंगे।
पंजाब बंद की घोषणा और इसके प्रभाव
किसान आंदोलन ने 2024 में एक नया मोड़ लिया जब किसान नेताओं ने 30 दिसंबर को पंजाब बंद का आह्वान किया। किसानों का यह आंदोलन शंभू और खनौरी बॉर्डर पर जारी है, जहां किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी अधिकार बनाने, कर्ज माफी और अन्य कृषि सुधारों की मांग की है। किसानों का यह आंदोलन 2024 में भी जारी है और उन्होंने यह घोषणा की है कि पंजाब में सभी सेवाएं, आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर, बंद रहेंगी।
इस बंद का उद्देश्य केंद्र सरकार और पंजाब सरकार पर दबाव डालना है ताकि किसानों की जायज मांगों को स्वीकार किया जाए। पंजाब के विभिन्न हिस्सों में किसानों ने बंद का समर्थन करने की अपील की है और इसे एक व्यापक किसान आंदोलन के रूप में आयोजित किया जा रहा है। पंजाब के लोग इस बंद का समर्थन कर रहे हैं और इसे एक महत्वपूर्ण संघर्ष मानते हैं।
किसान महापंचायत की तैयारियां
पंजाब बंद के बाद, 4 जनवरी 2024 को खनौरी बॉर्डर पर एक विशाल किसान महापंचायत आयोजित की जाएगी। इस महापंचायत का आयोजन किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की इच्छा पर किया जा रहा है। डल्लेवाल ने इस महापंचायत के माध्यम से देश भर के किसानों को एकजुट करने का सपना देखा है। इस महापंचायत में पंजाब के अलावा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों से किसान शामिल होंगे।
महापंचायत का उद्देश्य न केवल किसानों की समस्याओं को उजागर करना है, बल्कि एक व्यापक किसान आंदोलन की नींव रखना है। किसान नेता अभिमन्यु कोहड़ और काका सिंह कोटड़ा ने महापंचायत की तारीख का ऐलान करते हुए कहा कि इस महापंचायत में किसानों की एकजुटता को प्रदर्शित किया जाएगा और उनका संघर्ष एक राष्ट्रीय स्तर पर फैलाया जाएगा। डल्लेवाल ने खुद कहा है कि वे इस महापंचायत को संबोधित करेंगे, भले ही उनकी सेहत ठीक नहीं है।
डल्लेवाल की सेहत और सुप्रीम कोर्ट का आदेश
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 33 दिनों से अधिक समय तक उपवास रखा हुआ है, और उनका स्वास्थ्य अब गंभीर रूप से बिगड़ चुका है। डल्लेवाल की केटोन की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई है, जिससे उनकी जान को खतरा है। डॉक्टरों के अनुसार, डल्लेवाल को तत्काल अस्पताल में भर्ती कर उपचार की आवश्यकता है, लेकिन वे अपने स्वास्थ्य को लेकर कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने भी डल्लेवाल की सेहत को लेकर चिंता जताई है और पंजाब सरकार को आदेश दिया है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाए। हालांकि, डल्लेवाल ने कहा कि उनका उपवास स्वेच्छा से है और किसी भी प्रकार का दबाव उनके फैसले पर नहीं डाला गया है। उन्होंने इस आदेश के बारे में दुख जताया और कहा कि जब न्याय नहीं मिलता, तो लोग अपनी आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से रखते हैं, लेकिन अब यह आदेश केंद्र सरकार की ओर से आ रहा है।
किसानों का राष्ट्रीय आंदोलन का आह्वान
डल्लेवाल ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल पंजाब के किसानों के अधिकारों के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के किसानों के हक में आवाज उठाना है। वे चाहते हैं कि किसानों का आंदोलन अब राष्ट्रीय स्तर पर फैल जाए और सभी राज्यों से किसान एकजुट होकर अपनी समस्याओं को उजागर करें। उनका मानना है कि यदि केंद्र सरकार किसानों के मुद्दों पर ध्यान नहीं देती है, तो यह आंदोलन और तेज होगा।
किसान नेताओं का कहना है कि किसानों की समस्याओं का हल केवल एकजुट होकर ही संभव है। किसान महापंचायत इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक अहम कदम है, जिससे किसानों को अपनी ताकत और एकता को दिखाने का मौका मिलेगा।
पंजाब विश्वविद्यालय की परीक्षा स्थगित
पंजाब बंद के कारण, पंजाब विश्वविद्यालय ने 30 दिसंबर को होने वाली अपनी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है। अब ये परीक्षाएं 31 दिसंबर 2024 को आयोजित की जाएंगी। यह निर्णय छात्रों की सुरक्षा और विश्वविद्यालय परिसर में शांति बनाए रखने के लिए लिया गया है। परीक्षा स्थगन से विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र वर्ग दोनों को राहत मिली है, क्योंकि किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बचने के लिए यह कदम उठाया गया।
2024 में पंजाब में किसान आंदोलन ने न केवल राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया, बल्कि पूरे देश में किसानों की समस्याओं को उजागर किया। पंजाब बंद, किसान महापंचायत और डल्लेवाल का उपवास यह साबित करते हैं कि किसानों का संघर्ष किसी भी स्थिति में कम नहीं होगा। इन घटनाओं से यह साफ है कि किसान अपनी जायज मांगों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनके मुद्दों का समाधान नहीं किया जाता।
इस समय पंजाब में जो घटनाएं हो रही हैं, वे न केवल राज्य के भीतर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी किसान मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ा रही हैं। 4 जनवरी को होने वाली किसान महापंचायत इस आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।